भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक भगवान गणेश की उपासना के लिए गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. श्री गणेश प्रतिमा की स्थापना चतुर्थी को की जाती है और विसर्जन चतुर्दशी को किया जाता है. कुल मिलाकर ये नौ दिन गणेश नवरात्रि कहे जाते हैं. माना जाता है कि प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवान पुनः कैलाश पर्वत पर पहुंच जाते हैं.
स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है. इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. अतः इस दिन को अनंत चतुर्दशी भी कहते हैं. कुछ विशेष उपाय करके इस दिन जीवन कि मुश्किल से मुश्किल समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. इस बार अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन का पर्व 12 सितम्बर को है.
क्या है विसर्जन का सही तरीका?
- इस दिन प्रातः से उपवास रखना जरूरी है अथवा केवल फलाहार करें
- घर में स्थापित प्रतिमा का विधिवत पूजन करें,पूजन में नारियल, शमी पत्र और दूब जरूर अर्पित करें.
- उसके बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाएं अगर प्रतिमा छोटी हो तो गोद अथवा सर पर रख कर ले जाएं
- प्रतिमा को ले जाते समय भगवान गणेश को समर्पित अक्षत घर में अवश्य बिखेर दें
- चमड़े का बेल्ट, घड़ी अथवा पर्स पास में न रक्खें ,नंगे पैर ही मूर्ति का वहन और विसर्जन करें
- प्लास्टिक की मूर्ति अथवा चित्र न तो स्थापित करें और न ही विसर्जन करें, मिटटी की प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ है
- विसर्जन के पश्चात् हाथ जोड़कर श्री गणेश से कल्याण और मंगल की कामना करें
स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है. इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. अतः इस दिन को अनंत चतुर्दशी भी कहते हैं. कुछ विशेष उपाय करके इस दिन जीवन कि मुश्किल से मुश्किल समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. इस बार अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन का पर्व 12 सितम्बर को है.
क्या है विसर्जन का सही तरीका?
- इस दिन प्रातः से उपवास रखना जरूरी है अथवा केवल फलाहार करें
- घर में स्थापित प्रतिमा का विधिवत पूजन करें,पूजन में नारियल, शमी पत्र और दूब जरूर अर्पित करें.
- उसके बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाएं अगर प्रतिमा छोटी हो तो गोद अथवा सर पर रख कर ले जाएं
- प्रतिमा को ले जाते समय भगवान गणेश को समर्पित अक्षत घर में अवश्य बिखेर दें
- चमड़े का बेल्ट, घड़ी अथवा पर्स पास में न रक्खें ,नंगे पैर ही मूर्ति का वहन और विसर्जन करें
- प्लास्टिक की मूर्ति अथवा चित्र न तो स्थापित करें और न ही विसर्जन करें, मिटटी की प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ है
- विसर्जन के पश्चात् हाथ जोड़कर श्री गणेश से कल्याण और मंगल की कामना करें
विसर्जन के दौरान करें ये उपायएक भोजपत्र अथवा पीला कागज ले लें. अष्टगंध कि स्याही अथवा नयी लाल स्याही की कलम भी ले लें. भोजपत्र अथवा पीले कागज पर सबसे ऊपर स्वस्तिक बनाएं. उसके बाद स्वस्तिक के नीचे ॐ गं गणपतये नमः लिखें. उसके बाद क्रम से एक एक करके अपनी सारी समस्याएं लिखें. लिखावट में काट पीट न करें तथा कागज के पीछे कुछ न लिखें.
इसके बाद समस्याओं के अंत में अपना नाम लिखें फिर गणेश मंत्र लिखें. सबसे आखिर में स्वस्तिक बनाएं. कागज को मोड़कर रक्षा सूत्र से बांध लें, गणेश जी को समर्पित करें. इसको भी गणेश जी की प्रतिमा के साथ ही विसर्जित करें. समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलेगी.
विसर्जन का शुभ मुहूर्तगणेश मूर्ति विसर्जन के लिए इस बार सुबह 6 से 7 बजे तक का समय अच्छा माना जा रहा है. इसके अलावा आप दोपहर 1.30 बजे से 3 बजे के बीच भी मूर्ति विसर्जन कर सकते हैं. इस बार चतुर्दशी का 12 सितंबर को 5 बजकर 06 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 7 बजकर 35 मिनट तक होगी. ऐसे में सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो वो सुबह 4 बजकर 38 मिनट से सुबह 9 बजकर 07 मिनट तक होगा.
इसके बाद समस्याओं के अंत में अपना नाम लिखें फिर गणेश मंत्र लिखें. सबसे आखिर में स्वस्तिक बनाएं. कागज को मोड़कर रक्षा सूत्र से बांध लें, गणेश जी को समर्पित करें. इसको भी गणेश जी की प्रतिमा के साथ ही विसर्जित करें. समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलेगी.
विसर्जन का शुभ मुहूर्तगणेश मूर्ति विसर्जन के लिए इस बार सुबह 6 से 7 बजे तक का समय अच्छा माना जा रहा है. इसके अलावा आप दोपहर 1.30 बजे से 3 बजे के बीच भी मूर्ति विसर्जन कर सकते हैं. इस बार चतुर्दशी का 12 सितंबर को 5 बजकर 06 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 7 बजकर 35 मिनट तक होगी. ऐसे में सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो वो सुबह 4 बजकर 38 मिनट से सुबह 9 बजकर 07 मिनट तक होगा.
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