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केंद्र सरकार ने सातवे वेतन आयोग की प्रस्तवि सैलरी और पेंशन में बदलाव को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को ने जून 2016 में सातवें वेतन आयोग को लागू करने की मंजूरी देते हुए केन्द्रीय बजट में 84,933 करोड़ (वित्त वर्ष 2016-17) के साथ-साथ वित्त वर्ष 2015-16 में दो महीने के एरियर का प्रावधान कर दिया था। सरकार के इस घोषणा के साथ देश के सरकारी खजाने पर १,७६,०७१ करोड़ रुपये का बोझ सिर्फ रिटायर्ड कर्मचारियोंको पेंशन देने में पड़ेगा।
यह बदलाव 1 जनवरी 2016 से लागू होंगे. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने इसी तारीख से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था। सैन्य बल विकलांगता पेंशन के लिए प्रतिशत आधारित व्यवस्था पर वापस लौटने का दबाव बना रहे थे और 7वें केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिश वाली स्लैब आधारित व्यवस्था का विरोध कर रहे थे। मोदी सरकार ने सैन्य बलों के कर्मियों की बड़ी मांग मानते हुए केन्द्र सरकार ने विकलांगता पेंशन की पुरानी व्यवस्था के साथ बने रहने और सातवें वेतन आयोग की सिफारिश वाली नई व्यवस्था को नहीं अपनाने का फैसला किया।
केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष वित्त सचिव अशोक लवासा की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। इस समितिए नई 47 लाख सरकारी कर्मचारियों के भत्तों पर अपनी रिपोर्ट पिछले हफ्ते वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी थी। मोदी कैबिनेट ने 7वें पे-कमिशन (7thCPC) की सिफारिशों में सुधार के लिए लाए गए प्रपोजल को मंजूरी दे दी है. इससे गवर्नमेंट इम्प्लॉई और पेंशनर को फायदा होगा.
इस रिपोर्ट में 196 भत्तों में से 52 को पूरी तरह समाप्त करने और 36 अन्य को अन्य बड़े भत्तों में समाहित करने का सुझाव दिया है। समिति ने आवास किराया भत्ते (एचआरए) में 8 से 24 प्रतिशत की वृद्धि का सुझाव दिया है. यदि वेतन आयोग की भत्तों पर सिफारिशों को पूरी तरह लागू किया जाता है तो एक अनुमान के अनुसार इससे सरकार पर 29,300 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. लवासा ने कहा था कि सरकार सरकारी कर्मचारियों को संशोधित भत्तों के भुगतान की तारीख पर भी अंतिम फैसला करेगी.
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